जिससे लिखते थे ख़त वो हाँथ कांपने लगे - Shayari- Ambika Rahee

जिससे लिखते थे ख़त वो हाँथ कांपने लगे,
इश्क सोचूं भी कैसे अन्जाम जानने लगे !

-अम्बिका राही 

www.kaviambikarahee.com


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