अंबिका राही शायरी

ठंडी हवाओं ने फिर से रफ्तार बढ़ा दी है,

सुबह होने का एहसास देकर मुझे जगा दी है,

जरूरत ही नहीं मुझे अब किसी के प्यार की

किसी बेवफा ने मुझको अकेले जीना सिखा दी है

अंबिका राही

www.ambikaraheeshayari.blogspot.in

Comments