अम्बिका राही शायरी

ग़लतफ़हमी में अपनों को बदलते देखा है

छोटी सी बातों पर लड़ते झगड़ते देखा है


आंसू नहीं देखे हमने जिनकी आँखों में कभी


उन आँखों को अकेले में बरसात करते देखा है

अम्बिका राही

www.ambikaraheeshayari.blogspot.in

Comments