अम्बिका राही शायरी

उसी फूल पर गुन गुनाउंगा ऐसा परिंदा रहूँगा

मरकर भी उनके यादों में कहीं जिन्दा रहूँगा

कितनी भी कर ले मुझसे दूर जाने की कोशिश

परछाई बन हमेशा तेरे पास आता रहूँगा

अम्बिका राही

www.ambikaraheeshayari.blogspot.in

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