मेरी तन्हाई मुझसे लिपट कर रोई है
पास आकर मुझे खुद गले लगाई है
सब को मिलते है मेरा जो था वो भी बेवफा निकला
हमने यही सोच कर आज पूरी रात गुजारी है
अम्बिका राही
www.ambikaraheeshayari.blogspot.in
मेरी तन्हाई मुझसे लिपट कर रोई है
पास आकर मुझे खुद गले लगाई है
सब को मिलते है मेरा जो था वो भी बेवफा निकला
हमने यही सोच कर आज पूरी रात गुजारी है
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